एक अनीह अरूप अनामा। अज सच्चिदानंद पर धामा॥ ब्यापक बिस्वरूप भगवाना। तेहिं धरि देह चरित कृत नाना॥2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 12.2| Caupāī 12.2
एक अनीह अरूप अनामा।
अज सच्चिदानंद पर धामा॥
ब्यापक बिस्वरूप भगवाना। तेहिं धरि देह चरित कृत नाना॥2॥
भावार्थ:-जो परमेश्वर एक है, जिनके कोई इच्छा नहीं है, जिनका कोई रूप और नाम नहीं है, जो अजन्मा, सच्चिदानन्द और परमधाम है और जो सबमें व्यापक एवं विश्व रूप हैं, उन्हीं भगवान ने दिव्य शरीर धारण करके नाना प्रकार की लीला की है॥2॥
ēka anīha arūpa anāmā. aja saccidānaṃda para dhāmā..
byāpaka bisvarūpa bhagavānā. tēhiṃ dhari dēha carita kṛta nānā..
God, who is one, desireless, formless, nameless and unborn, who is Truth, Consciousness and Bliss, who is supreme effulgence, all-pervading and all-formed-it is He who has performed many deeds assuming a suitable form.