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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

एक सराहहिं भरत सनेहू। कोउ कह नृपति निबाहेउ नेहू॥ निंदहिं आपु सराहि निषादहि। को कहि सकइ बिमोह बिषादहि॥3॥

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श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
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चौपाई

एक सराहहिं भरत सनेहू। कोउ कह नृपति निबाहेउ नेहू॥
निंदहिं आपु सराहि निषादहि। को कहि सकइ बिमोह बिषादहि॥3॥

भावार्थ:

कोई भरतजी के स्नेह की सराहना करते हैं और कोई कहते हैं कि राजा ने अपना प्रेम खूब निबाहा। सब अपनी निंदा करके निषाद की प्रशंसा करते हैं। उस समय के विमोह और विषाद को कौन कह सकता है?॥3॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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Shiv

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