कपिपति रीछ निसाचर राजा। अंगदादि जे कीस समाजा॥ बंदउँ सब के चरन सुहाए। अधम सरीर राम जिन्ह पाए॥1॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 17.1| | Caupāī 17.1
कपिपति रीछ निसाचर राजा। अंगदादि जे कीस समाजा॥
बंदउँ सब के चरन सुहाए। अधम सरीर राम जिन्ह पाए॥1॥
भावार्थ:-वानरों के राजा सुग्रीवजी, रीछों के राजा जाम्बवानजी, राक्षसों के राजा विभीषणजी और अंगदजी आदि जितना वानरों का समाज है, सबके सुंदर चरणों की मैं वदना करता हूँ, जिन्होंने अधम (पशु और राक्षस आदि) शरीर में भी श्री रामचन्द्रजी को प्राप्त कर लिया॥1॥
kapipati rīcha nisācara rājā. aṃgadādi jē kīsa samājā..
baṃdauom saba kē carana suhāē. adhama sarīra rāma jinha pāē..
The lord of monkeys (Sugriva), the chief of bears (Jambavan), the king of demons (Vibhisana) and the host of monkeys beginning with Angada, I reverence the charming feet of all, who attained Sri Rama even though born in the lowest species.