कहेहु दंडवत प्रभु सैं तुम्हहि कहउँ कर जोरि। बार बार रघुनायकहि सुरति कराएहु मोरि॥19 क॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
सप्तमः सोपानः | Descent 7th
श्री उत्तरकाण्ड | Shri Uttara Kanda
दोहा :
कहेहु दंडवत प्रभु सैं तुम्हहि कहउँ कर जोरि।
बार बार रघुनायकहि सुरति कराएहु मोरि॥19 क॥
भावार्थ:
मैं तुमसे हाथ जोड़कर कहता हूँ, प्रभु से मेरी दण्डवत् कहना और श्री रघुनाथजी को बार-बार मेरी याद कराते रहना॥19 (क)॥
IAST :
Meaning :