कुंद इंदु सम देह उमा रमन करुना अयन। जाहि दीन पर नेह करउ कृपा मर्दन मयन॥4॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
सोरठा 4 | śoratha 4
कुंद इंदु सम देह उमा रमन करुना अयन।
जाहि दीन पर नेह करउ कृपा मर्दन मयन॥4॥
kunda indu sama deha uma ramana karuna ayana|
jahi dina para neha karau kripa mardana mayana||4||
भावार्थ:-जिनका कुंद के पुष्प और चन्द्रमा के समान (गौर) शरीर है, जो पार्वतीजी के प्रियतम और दया के धाम हैं और जिनका दीनों पर स्नेह है, वे कामदेव का मर्दन करने वाले (शंकरजी) मुझ पर कृपा करें॥4
kuṃda iṃdu sama dēha umā ramana karunā ayana.
jāhi dīna para nēha karau kṛpā mardana mayana..4..
May the crusher of Cupid, Bhagavan Siva, whose form resembles in colour the jasmine flower and the moon, who is the consort of Goddess Parvati and an abode of compassion and who is fond of the afflicted, be gracious.(4)