कैकयनंदिनि मंदमति कठिन कुटिलपन कीन्ह। जेहिं रघुनंदन जानकिहि सुख अवसर दुखु दीन्ह॥91॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand
दोहा :
कैकयनंदिनि मंदमति कठिन कुटिलपन कीन्ह।
जेहिं रघुनंदन जानकिहि सुख अवसर दुखु दीन्ह॥91॥
भावार्थ:
कैकयराज की लड़की नीच बुद्धि कैकेयी ने बड़ी ही कुटिलता की, जिसने रघुनंदन श्री रामजी और जानकीजी को सुख के समय दुःख दिया॥91॥
English :
IAST :
Meaning :