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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

चले निसान बजाइ सुर निज निज पुर सुख पाइ। कहत परसपर राम जसु प्रेम न हृदयँ समाइ॥353॥

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दोहा : 

चले निसान बजाइ सुर निज निज पुर सुख पाइ।
कहत परसपर राम जसु प्रेम न हृदयँ समाइ॥353॥

भावार्थ:

नगाड़े बजाकर और (परम) सुख प्राप्त कर अपने-अपने लोकों को चले। वे एक-दूसरे से श्री रामजी का यश कहते जाते हैं। हृदय में प्रेम समाता नहीं है॥353॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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Shiv

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