जसि बिबाह कै बिधि श्रुति गाई। महामुनिन्ह सो सब करवाई॥ गहि गिरीस कुस कन्या पानी। भवहि समरपीं जानि भवानी॥1॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
चौपाई | Caupāī :
जसि बिबाह कै बिधि श्रुति गाई। महामुनिन्ह सो सब करवाई॥
गहि गिरीस कुस कन्या पानी। भवहि समरपीं जानि भवानी॥1॥
भावार्थ:
वेदों में विवाह की जैसी रीति कही गई है, महामुनियों ने वह सभी रीति करवाई। पर्वतराज हिमाचल ने हाथ में कुश लेकर तथा कन्या का हाथ पकड़कर उन्हें भवानी (शिवपत्नी) जानकर शिवजी को समर्पण
English :
jasi bibāha kai bidhi śruti gāī. mahāmuninha sō saba karavāī..
gahi girīsa kusa kanyā pānī. bhavahi samarapīṃ jāni bhavānī..
IAST :
jasi bibāha kai bidhi śruti gāī. mahāmuninha sō saba karavāī..
gahi girīsa kusa kanyā pānī. bhavahi samarapīṃ jāni bhavānī..
Meaning :
The great sages had the nuptial ceremony performed in all its details as laid down in the Vedas. Taking sacred Kusa grass in his hand and holding the bride by Her hand, the mountain-king Himalaya made Her over to Bhava (Siva) knowing Her to be His eternal consort.