जहँ तहँ भूधर बिटप उपारी। धाए कटकटाइ भट भारी॥6॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
षष्ठः सोपानः | Descent 6th
श्री लंकाकाण्ड | Shri Lanka Kand
चौपाई :
जहँ तहँ भूधर बिटप उपारी।
धाए कटकटाइ भट भारी॥6॥
भावार्थ:
वे भारी योद्धा जहाँ-तहाँ से पर्वत और वृक्ष उखाड़कर (क्रोध से) दाँत कटकटाकर दौड़े॥6॥
IAST :
Meaning :