जौं अपने अवगुन सब कहऊँ। बाढ़इ कथा पार नहिं लहऊँ ॥ ताते मैं अति अलप बखाने। थोरे महुँ जानिहहिं सयाने ॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 11.3|Caupāī 11.3
जौं अपने अवगुन सब कहऊँ।
बाढ़इ कथा पार नहिं लहऊँ ॥
ताते मैं अति अलप बखाने। थोरे महुँ जानिहहिं सयाने ॥3॥
भावार्थ:-यदि मैं अपने सब अवगुणों को कहने लगूँ तो कथा बहुत बढ़ जाएगी और मैं पार नहीं पाऊँगा। इससे मैंने बहुत कम अवगुणों का वर्णन किया है। बुद्धिमान लोग थोड़े ही में समझ लेंगे॥3॥
jauṃ apanē avaguna saba kahaūom. bāḍhai kathā pāra nahiṃ lahaūom..
tātē maiṃ ati alapa bakhānē. thōrē mahuom jānihahiṃ sayānē..
Were I to recount all my vices, their tale will assume large dimensions, and yet I shall not be able to exhaust them. Hence I have mentioned very few. A word should suffice for the wise.