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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

तन पुलकित मुख बचन न आवा। नयन मूदि चरननि सिरु नावा॥ बिसमयवंत देखि महतारी। भए बहुरि सिसुरूप खरारी॥3॥

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चौपाई : 

 तन पुलकित मुख बचन न आवा। नयन मूदि चरननि सिरु नावा॥
बिसमयवंत देखि महतारी। भए बहुरि सिसुरूप खरारी॥3॥

भावार्थ:

(माता का) शरीर पुलकित हो गया, मुख से वचन नहीं निकलता। तब आँखें मूँदकर उसने श्री रामचन्द्रजी के चरणों में सिर नवाया। माता को आश्चर्यचकित देखकर खर के शत्रु श्री रामजी फिर बाल रूप हो गए॥3॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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Shiv

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