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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

नर अहार रजनीचर चरहीं। कपट बेष बिधि कोटिक करहीं॥ लागइ अति पहार कर पानी। बिपिन बिपति नहिं जाइ बखानी॥1॥

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श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
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श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand

चौपाई

नर अहार रजनीचर चरहीं। कपट बेष बिधि कोटिक करहीं॥
लागइ अति पहार कर पानी। बिपिन बिपति नहिं जाइ बखानी॥1॥

भावार्थ:

मनुष्यों को खाने वाले निशाचर (राक्षस) फिरते रहते हैं। वे करोड़ों प्रकार के कपट रूप धारण कर लेते हैं। पहाड़ का पानी बहुत ही लगता है। वन की विपत्ति बखानी नहीं जा सकती॥1॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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Shiv

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