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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

नृप सब रहहिं कृपा अभिलाषें। लोकप करहिं प्रीति रुख राखें॥ वन तीनि काल जग माहीं। भूरिभाग दसरथ सम नाहीं॥2॥

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श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand

चौपाई

नृप सब रहहिं कृपा अभिलाषें। लोकप करहिं प्रीति रुख राखें॥

वन तीनि काल जग माहीं। भूरिभाग दसरथ सम नाहीं॥2॥

भावार्थ:

सब राजा उनकी कृपा चाहते हैं और लोकपालगण उनके रुख को रखते हुए (अनुकूल होकर) प्रीति करते हैं। (पृथ्वी, आकाश, पाताल) तीनों भुवनों में और (भूत, भविष्य, वर्तमान) तीनों कालों में दशरथजी के समान बड़भागी (और) कोई नहीं है॥2॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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Shiv

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