पुनि बंदउँ सारद सुरसरिता। जुगल पुनीत मनोहर चरिता॥ मज्जन पान पाप हर एका। कहत सुनत एक हर अबिबेका॥1॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 14(छ.1)| Caupai 14(cha.1)
पुनि बंदउँ सारद सुरसरिता।
जुगल पुनीत मनोहर चरिता॥
मज्जन पान पाप हर एका। कहत सुनत एक हर अबिबेका॥1॥
भावार्थ:-फिर मैं सरस्वती और देवनदी गंगाजी की वंदना करता हूँ। दोनों पवित्र और मनोहर चरित्र वाली हैं। एक (गंगाजी) स्नान करने और जल पीने से पापों को हरती है और दूसरी (सरस्वतीजी) गुण और यश कहने और सुनने से अज्ञान का नाश कर देती है॥1॥
puni baṃdauom sārada surasaritā. jugala punīta manōhara caritā..
majjana pāna pāpa hara ēkā. kahata sunata ēka hara abibēkā..
Again, I bow to goddess Sarasvati and the celestial river Ganga, both of whom are holy and perform agreeable roles. The one (Ganga) wipes away sin through immersion and draught; the other (Sarasvati) dispels ignorance through the recital and hearing of her glory.