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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

पुनि दंडवत करत दोउ भाई। देखि नृपति उर सुखु न समाई॥ सुत हियँ लाइ दुसह दुख मेटे। मृतक सरीर प्रान जनु भेंटे॥2॥

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श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand

चौपाई : 

पुनि दंडवत करत दोउ भाई। देखि नृपति उर सुखु न समाई॥
सुत हियँ लाइ दुसह दुख मेटे। मृतक सरीर प्रान जनु भेंटे॥2॥

भावार्थ:

फिर दोनों भाइयों को दण्डवत्‌ प्रणाम करते देखकर राजा के हृदय में सुख समाया नहीं। पुत्रों को (उठाकर) हृदय से लगाकर उन्होंने अपने (वियोगजनित) दुःसह दुःख को मिटाया। मानो मृतक शरीर को प्राण मिल गए हों॥2॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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Shiv

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