बिबुध बिप्र बुध ग्रह चरन बंदि कहउँ कर जोरि। होइ प्रसन्न पुरवहु सकल मंजु मनोरथ मोरि॥14 छ॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
दोहा 14(छ)| Dohas 14(cha)
बिबुध बिप्र बुध ग्रह चरन बंदि कहउँ कर जोरि।
होइ प्रसन्न पुरवहु सकल मंजु मनोरथ मोरि॥14 छ॥
भावार्थ:-देवता, ब्राह्मण, पंडित, ग्रह- इन सबके चरणों की वंदना करके हाथ जोड़कर कहता हूँ कि आप प्रसन्न होकर मेरे सारे सुंदर मनोरथों को पूरा करें॥14 (छ)॥
bibudha bipra budha graha carana baṃdi kahauom kara jōri.
hōi prasanna puravahu sakala maṃju manōratha mōri..14cha..
Making obeisance to the feet of gods, the Brahmanas, wise men and the deities presiding over the nine planets, I pray to them with joined palms! Be pleased to accomplish all my fair desires.(14G)