मुनिबर सयन कीन्हि तब जाई। लगे चरन चापन दोउ भाई॥ जिन्ह के चरन सरोरुह लागी। करत बिबिध जप जोग बिरागी॥2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
मुनिबर सयन कीन्हि तब जाई। लगे चरन चापन दोउ भाई॥
जिन्ह के चरन सरोरुह लागी। करत बिबिध जप जोग बिरागी॥2॥
भावार्थ:
तब श्रेष्ठ मुनि ने जाकर शयन किया। दोनों भाई उनके चरण दबाने लगे, जिनके चरण कमलों के (दर्शन एवं स्पर्श के) लिए वैराग्यवान् पुरुष भी भाँति-भाँति के जप और योग करते हैं॥2॥
English :
IAST :
Meaning :