मुनि अनुसासन गनपतिहि पूजेउ संभु भवानि। muni anusasana ganapatihi pujeu sambhu bhavani|
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
दोहा 100 | Dohas 100
मुनि अनुसासन गनपतिहि पूजेउ संभु भवानि।
कोउ सुनि संसय करै जनि सुर अनादि जियँ जानि॥100॥
भावार्थ:
मुनियों की आज्ञा से शिवजी और पार्वतीजी ने गणेशजी का पूजन किया। मन में देवताओं को अनादि समझकर कोई इस बात को सुनकर शंका न करे (कि गणेशजी तो शिव-पार्वती की संतान हैं, अभी विवाह से पूर्व ही वे कहाँ से आ गए?)॥100॥
English:
muni anusasana ganapatihi pujeu sambhu bhavani|
kou suni sansaya karai jani sura anadi jiyam jani||100||
IAST:
muni anusāsana ganapatihi pūjēu saṃbhu bhavāni.
kōu suni saṃsaya karai jani sura anādi jiyaom jāni..100..
Meaning:
At the direction of the sages Sambhu and Bhavani paid divine honours to Lord Ganapati. Let no one be puzzled to hear this; for one should bear in mind that gods have existed from time without beginning.