रघुपति चरन उपासक जेते। खग मृग सुर नर असुर समेते॥ बंदउँ पद सरोज सब केरे। जे बिनु काम राम के चेरे॥2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 17.2| | Caupāī 17.2
रघुपति चरन उपासक जेते। खग मृग सुर नर असुर समेते॥
बंदउँ पद सरोज सब केरे। जे बिनु काम राम के चेरे॥2॥
भावार्थ:-पशु, पक्षी, देवता, मनुष्य, असुर समेत जितने श्री रामजी के चरणों के उपासक हैं, मैं उन सबके चरणकमलों की वंदना करता हूँ, जो श्री रामजी के निष्काम सेवक हैं॥2॥
raghupati carana upāsaka jētē. khaga mṛga sura nara asura samētē..
baṃdauom pada sarōja saba kērē. jē binu kāma rāma kē cērē..
As many worshippers there are of the feet of Raghupati (the Lord of Raghus), including birds, beasts, gods, human beings and demons, I adore the lotus feet of them all, who are disinterested servants of Sri Rama.