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श्री राम स्तुति संग्रहस्तुति चालीसा संग्रह | Collection of Stuti Chalisa

श्रीरामप्रातःस्मरणम्

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॥ श्रीरामप्रातःस्मरणम् ॥

 

प्रातः स्मरामि रघुनाथमुखारविन्दं
मन्दस्मितं मधुरभाषि विशालभालम् ।
कर्णावलम्बिचलकुण्डलशोभिगण्डं
कर्णान्तदीर्घनयनं नयनाभिरामम् ॥ १॥

प्रातर्भजामि रघुनाथकरारविन्दं
रक्षोगणाय भयदं वरदं निजेभ्यः ।
यद्राजसंसदि विभज्य महेशचापं
सीताकरग्रहणमङ्गलमाप सद्यः ॥ २॥

प्रातर्नमामि रघुनाथपदारविन्दं
वज्राङ्कुशादिशुभरेखि सुखावहं मे ।
योगीन्द्रमानसमधुव्रतसेव्यमानं
शापापहं सपदि गौतमधर्मपत्न्याः ॥ ३॥

प्रातर्वदामि वचसा रघुनाथ नाम
वाग्दोषहारि सकलं शमलं निहन्ति ।
यत्पार्वती स्वपतिना सह भोक्तुकामा
प्रीत्या सहस्रहरिनामसमं जजाप ॥ ४॥

प्रातः श्रये श्रुतिनुतां रघुनाथमूर्तिं
नीलाम्बुजोत्पलसितेतररत्ननीलाम् ।
आमुक्तमौक्तिकविशेषविभूषणाढ्यां
ध्येयां समस्तमुनिभिर्जनमुक्तिहेतुम् ॥ ५॥

यः श्लोकपञ्चकमिदं प्रयतः पठेद्धि
नित्यं प्रभातसमये पुरुषः प्रबुद्धः ।
श्रीरामकिङ्करजनेषु स एव मुख्यो
भूत्वा प्रयाति हरिलोकमनन्यलभ्यम् ॥

॥ इति श्रीराम प्रातःस्मरणम् ॥


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Shiv

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