लरहिं सुभट निज निज जय हेतू। बरनि न जाइ समर खगकेतू॥6॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
षष्ठः सोपानः | Descent 6th
श्री लंकाकाण्ड | Shri Lanka Kand
चौपाई :
लरहिं सुभट निज निज जय हेतू।
बरनि न जाइ समर खगकेतू॥6॥
भावार्थ:
दोनों ओर के योद्धा अपनी-अपनी जय के लिए लड़ रहे हैं। हे गरुड़ उनके युद्ध का वर्णन नहीं किया जा सकता॥6॥
English :
IAST :
Meaning :