सचिव सभीत बिभीषन जाकें। बिजय बिभूति कहाँ जग ताकें॥ सुनि खल बचन दूत रिस बाढ़ी। समय बिचारि पत्रिका काढ़ी॥4॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
पंचमः सोपान | Descent 5th
श्री सुंदरकाण्ड | Shri Sunderkand
चौपाई :
सचिव सभीत बिभीषन जाकें। बिजय बिभूति कहाँ जग ताकें॥
सुनि खल बचन दूत रिस बाढ़ी। समय बिचारि पत्रिका काढ़ी॥4॥
भावार्थ:
जिसके डरपोंक बिभीषण से मंत्री हैं उसके विजय और विभूति कहाँ? खल रावण के ये वचन सुनकर दूतको बड़ा क्रोध आया इससे उसने अवसर जानकर लक्ष्मणके हाथकी पत्री निकाली॥4॥
English :
IAST :
Meaning :