सतिहि ससोच जानि बृषकेतू। कहीं कथा सुंदर सुख हेतू॥ बरनत पंथ बिबिध इतिहासा। बिस्वनाथ पहुँचे कैलासा॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई (57.3) | Caupāī (57.3)
सतिहि ससोच जानि बृषकेतू। कहीं कथा सुंदर सुख हेतू॥
बरनत पंथ बिबिध इतिहासा। बिस्वनाथ पहुँचे कैलासा॥3॥
भावार्थ:-वृषकेतु शिवजी ने सती को चिन्तायुक्त जानकर उन्हें सुख देने के लिए सुंदर कथाएँ कहीं। इस प्रकार मार्ग में विविध प्रकार के इतिहासों को कहते हुए विश्वनाथ कैलास जा पहुँचे॥3॥
satihi sasōca jāni bṛṣakētū. kahīṃ kathā suṃdara sukha hētū..
baranata paṃtha bibidha itihāsā. bisvanātha pahuomcē kailāsā..
Perceiving the sad look of Sats, Siva (who has a bull emblazoned on His standard) narrated beautiful stories in order to divert Her mind. Relating various legends while on His way, the Lord of the universe, Siva, reached Kailasa.