सती कपटु जानेउ सुरस्वामी। सबदरसी सब अंतरजामी॥ सुमिरत जाहि मिटइ अग्याना। सोइ सरबग्य रामु भगवाना॥2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 52.2 | Caupāī 52.2
सती कपटु जानेउ सुरस्वामी। सबदरसी सब अंतरजामी॥
सुमिरत जाहि मिटइ अग्याना। सोइ सरबग्य रामु भगवाना॥2॥
भावार्थ:-सब कुछ देखने वाले और सबके हृदय की जानने वाले देवताओं के स्वामी श्री रामचंद्रजी सती के कपट को जान गए, जिनके स्मरण मात्र से अज्ञान का नाश हो जाता है, वही सर्वज्ञ भगवान् श्री रामचंद्रजी हैं॥2॥
satī kapaṭu jānēu surasvāmī. sabadarasī saba aṃtarajāmī..
sumirata jāhi miṭai agyānā. sōi sarabagya rāmu bhagavānā..
All-perceiving and the inner controller of all, the lord of gods, Sri Rama, took no time in detecting the false appearance of Sats, Rama was the same omniscient Lord whose very thought wipes out ignorance.