सदा सुमन फल सहित सब द्रुम नव नाना जाति। sada sumana phala sahita saba druma nava nana jati|
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
दोहा (65) | Dohas (65)
सदा सुमन फल सहित सब द्रुम नव नाना जाति।
प्रगटीं सुंदर सैल पर मनि आकर बहु भाँति॥65॥
भावार्थ:-उस सुंदर पर्वत पर बहुत प्रकार के सब नए-नए वृक्ष सदा पुष्प-फलयुक्त हो गए और वहाँ बहुत तरह की मणियों की खानें प्रकट हो गईं॥65॥
sada sumana phala sahita saba druma nava nana jati|
pragatim sundara saila para mani akara bahu bhanti||65||
Young trees of different varieties were endowed with never failing blossoms and fruits, and mines of jewels of various kinds appeared on the beautiful mountain. (65)