सारद दारुनारि सम स्वामी। रामु सूत्रधर अंतरजामी॥ जेहि पर कृपा करहिं जनु जानी। कबि उर अजिर नचावहिं बानी॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
सारद दारुनारि सम स्वामी। रामु सूत्रधर अंतरजामी॥
जेहि पर कृपा करहिं जनु जानी। कबि उर अजिर नचावहिं बानी॥3॥
भावार्थ:
सरस्वतीजी कठपुतली के समान हैं और अन्तर्यामी स्वामी श्री रामचन्द्रजी (सूत पकड़कर कठपुतली को नचाने वाले) सूत्रधार हैं। अपना भक्त जानकर जिस कवि पर वे कृपा करते हैं, उसके हृदय रूपी आँगन में सरस्वती को वे नचाया करते हैं॥3॥
English :
IAST :
Meaning :