सुनि संपाति बंधु कै करनी। रघुपति महिमा बहुबिधि बरनी॥6॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
चतुर्थ: सोपान | Descent 4th
श्री किष्किंधाकांड | Shri kishkindha-Kand
चौपाई :
सुनि संपाति बंधु कै करनी।
रघुपति महिमा बहुबिधि बरनी॥6॥
भावार्थ:
भाई जटायु की करनी सुनकर सम्पाती ने बहुत प्रकार से श्री रघुनाथजी की महिमा वर्णन की॥6॥
English :
IAST :
Meaning :