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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

 सुनि समुझहिं जन मुदित मन मज्जहिं अति अनुराग। लहहिं चारि फल अछत तनु साधु समाज प्रयाग॥2॥

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 सुनि समुझहिं जन मुदित मन मज्जहिं अति अनुराग।
लहहिं चारि फल अछत तनु साधु समाज प्रयाग॥2॥

भावार्थ:-जो मनुष्य इस संत समाज रूपी तीर्थराज का प्रभाव प्रसन्न मन से सुनते और समझते हैं और फिर अत्यन्त प्रेमपूर्वक इसमें गोते लगाते हैं, वे इस शरीर के रहते ही धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष- चारों फल पा जाते हैं॥2॥

suni samujhahiṃ jana mudita mana majjahiṃ ati anurāga.
lahahiṃ cāri phala achata tanu sādhu samāja prayāga..2..

Men who having heard the glory of this moving Prayaga in the form of the assemblage of holy men appreciate it with an enraptured mind and then take a plunge into it with extreme devotion obtain the four rewards of human existence during their very lifetime.(2)


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