सो केवल भगतन हित लागी। परम कृपाल प्रनत अनुरागी॥ जेहि जन पर ममता अति छोहू। जेहिं करुना करि कीन्ह न कोहू॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 12.3| Caupāī 12.3
सो केवल भगतन हित लागी।
परम कृपाल प्रनत अनुरागी॥
जेहि जन पर ममता अति छोहू। जेहिं करुना करि कीन्ह न कोहू॥3॥
भावार्थ:-वह लीला केवल भक्तों के हित के लिए ही है, क्योंकि भगवान परम कृपालु हैं और शरणागत के बड़े प्रेमी हैं। जिनकी भक्तों पर बड़ी ममता और कृपा है, जिन्होंने एक बार जिस पर कृपा कर दी, उस पर फिर कभी क्रोध नहीं किया॥3॥
sō kēvala bhagatana hita lāgī. parama kṛpāla pranata anurāgī..
jēhi jana para mamatā ati chōhū. jēhiṃ karunā kari kīnha na kōhū..
That He has done only for the good of His devotees; for He is supremely gracious and loving to the suppliant. He is excessively fond of His devotees and treats them as His own; He has never frowned at him to whom He has once shown His favour.