सो न होई बिनु बिमल मति मोहि मति बल अति थोर। करहु कृपा हरि जस कहउँ पुनि पुनि करउँ निहोर॥14 ख॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
दोहा 14(ख)| Doha 14(kha)
सो न होई बिनु बिमल मति मोहि मति बल अति थोर।
करहु कृपा हरि जस कहउँ पुनि पुनि करउँ निहोर॥14 ख॥
भावार्थ:-ऐसी कविता बिना निर्मल बुद्धि के होती नहीं और मेरी बुद्धि का बल बहुत ही थोड़ा है, इसलिए बार-बार निहोरा करता हूँ कि हे कवियों! आप कृपा करें, जिससे मैं हरि यश का वर्णन कर सकूँ॥14 (ख)॥
sō na hōi binu bimala mati mōhi mati bala ati thōra.
karahu kṛpā hari jasa kahauom puni puni karauom nihōra..14kha..
Such poetry is not possible without a refined intellect, and of intellectual power I have very little. Be gracious, therefore so that I may depict the glory of Sri Hari; I solicit again and again.