हरषि चले सुग्रीव तब अंगदादि कपि साथ। रामानुज आगें करि आए जहँ रघुनाथ॥20॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
चतुर्थ: सोपान | Descent 4th
श्री किष्किंधाकांड | Shri kishkindha-Kand
दोहा :
हरषि चले सुग्रीव तब अंगदादि कपि साथ।
रामानुज आगें करि आए जहँ रघुनाथ॥20॥
भावार्थ:
तब अंगद आदि वानरों को साथ लेकर और श्री रामजी के छोटे भाई लक्ष्मणजी को आगे करके (अर्थात् उनके पीछे-पीछे) सुग्रीव हर्षित होकर चले और जहाँ रघुनाथजी थे वहाँ आए॥20॥
English :
IAST :
Meaning :