हर गन हम न बिप्र मुनिराया। बड़ अपराध कीन्ह फल पाया॥ श्राप अनुग्रह करहु कृपाला। बोले नारद दीनदयाला॥2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
हर गन हम न बिप्र मुनिराया। बड़ अपराध कीन्ह फल पाया॥
श्राप अनुग्रह करहु कृपाला। बोले नारद दीनदयाला॥2॥
भावार्थ:
हे मुनिराज! हम ब्राह्मण नहीं हैं, शिवजी के गण हैं। हमने बड़ा अपराध किया, जिसका फल हमने पा लिया। हे कृपालु! अब शाप दूर करने की कृपा कीजिए। दीनों पर दया करने वाले नारदजी ने कहा-॥2॥
English :
IAST :
Meaning :