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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

अनुचित आजु कहब अस मोरा। सोक सनेहँ सयानप थोरा॥ सुनि सुरसरि सम पावनि बानी। भईं सनेह बिकल सब रानी॥4॥

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श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
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चौपाई

अनुचित आजु कहब अस मोरा। सोक सनेहँ सयानप थोरा॥
सुनि सुरसरि सम पावनि बानी। भईं सनेह बिकल सब रानी॥4॥

भावार्थ:

किन्तु आज मेरा ऐसा कहना भी अनुचित है। शोक और स्नेह में सयानापन (विवेक) कम हो जाता है (लोग कहेंगे कि मैं स्नेहवश भरत की बड़ाई कर रही हूँ)। कौसल्याजी की गंगाजी के समान पवित्र करने वाली वाणी सुनकर सब रानियाँ स्नेह के मारे विकल हो उठीं॥4॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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Shiv

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