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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

उपमा न कोउ कह दास तुलसी कतहुँ कबि कोबिद कहैं। बल बिनय बिद्या सील सोभा सिंधु इन्ह से एइ अहैं॥ पुर नारि सकल पसारि अंचल बिधिहि बचन सुनावहीं॥ ब्याहिअहुँ चारिउ भाइ एहिं पुर हम सुमंगल गावहीं॥

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छन्द : 

उपमा न कोउ कह दास तुलसी कतहुँ कबि कोबिद कहैं।
बल बिनय बिद्या सील सोभा सिंधु इन्ह से एइ अहैं॥
पुर नारि सकल पसारि अंचल बिधिहि बचन सुनावहीं॥
ब्याहिअहुँ चारिउ भाइ एहिं पुर हम सुमंगल गावहीं॥

भावार्थ:

दास तुलसी कहता है कवि और कोविद (विद्वान) कहते हैं, इनकी उपमा कहीं कोई नहीं है। बल, विनय, विद्या, शील और शोभा के समुद्र इनके समान ये ही हैं। जनकपुर की सब स्त्रियाँ आँचल फैलाकर विधाता को यह वचन (विनती) सुनाती हैं कि चारों भाइयों का विवाह इसी नगर में हो और हम सब सुंदर मंगल गावें।॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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Shiv

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