एहि बिधि निज गुन दोष कहि सबहि बहुरि सिरु नाइ। बरनउँ रघुबर बिसद जसु सुनि कलि कलुष नसाइ॥29 ग॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
दोहा 29 (ग)| |Dohas 29 (ga)
एहि बिधि निज गुन दोष कहि सबहि बहुरि सिरु नाइ।
बरनउँ रघुबर बिसद जसु सुनि कलि कलुष नसाइ॥29 ग॥
भावार्थ:-इस प्रकार अपने गुण-दोषों को कहकर और सबको फिर सिर नवाकर मैं श्री रघुनाथजी का निर्मल यश वर्णन करता हूँ, जिसके सुनने से कलियुग के पाप नष्ट हो जाते हैं॥29 (ग)॥
ēhi bidhi nija guna dōṣa kahi sabahi bahuri siru nāi.
baranauom raghubara bisada jasu suni kali kaluṣa nasāi..29ga..
Thus revealing my merits and demerits and bowing my head once more to all, I proceed to sing the immaculate glory of the Chief of Raghus, by hearing which the impurities of the Kali age are wiped away.