एहि बिधि सकल मनोरथ करहीं। बचन सप्रेम सुनत मन हरहीं॥ सीय मातु तेहि समय पठाईं। दासीं देखि सुअवसरु आईं॥1॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand
चौपाई :
एहि बिधि सकल मनोरथ करहीं। बचन सप्रेम सुनत मन हरहीं॥
सीय मातु तेहि समय पठाईं। दासीं देखि सुअवसरु आईं॥1॥
भावार्थ:
इस प्रकार सब मनोरथ कर रहे हैं। उनके प्रेमयुक्त वचन सुनते ही (सुनने वालों के) मनों को हर लेते हैं। उसी समय सीताजी की माता श्री सुनयनाजी की भेजी हुई दासियाँ (कौसल्याजी आदि के मिलने का) सुंदर अवसर देखकर आईं॥1॥
English :
IAST :
Meaning :