करउँ प्रनाम करम मन बानी। करहु कृपा सुत सेवक जानी॥ जिन्हहि बिरचि बड़ भयउ बिधाता। महिमा अवधि राम पितु माता॥4॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 15.4| Caupai 15.4
करउँ प्रनाम करम मन बानी। करहु कृपा सुत सेवक जानी॥
जिन्हहि बिरचि बड़ भयउ बिधाता। महिमा अवधि राम पितु माता॥4॥
भावार्थ:- मैं मन, वचन और कर्म से प्रणाम करता हूँ। अपने पुत्र का सेवक जानकर वे मुझ पर कृपा करें, जिनको रचकर ब्रह्माजी ने भी बड़ाई पाई तथा जो श्री रामजी के माता और पिता होने के कारण महिमा की सीमा हैं॥4॥
karauom pranāma karama mana bānī. karahu kṛpā suta sēvaka jānī..
jinhahi biraci baḍa bhayau bidhātā. mahimā avadhi rāma pitu mātā..
I make obeisance to them in thought, word and deed. Knowing me as a servant of your son, be gracious to me. The father and mothers of Sri Rama are the very perfection of glory, by creating whom even Brahma (the Creator) has exalted himself. (4)