करमनास जलु सुरसरि परई। तेहि को कहहु सीस नहिं धरेई॥ उलटा नामु जपत जगु जाना। बालमीकि भए ब्रह्म समाना॥4॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand
चौपाई :
करमनास जलु सुरसरि परई। तेहि को कहहु सीस नहिं धरेई॥
उलटा नामु जपत जगु जाना। बालमीकि भए ब्रह्म समाना॥4॥
भावार्थ:
कर्मनाशा नदी का जल गंगाजी में पड़ जाता है (मिल जाता है), तब कहिए, उसे कौन सिर पर धारण नहीं करता? जगत जानता है कि उलटा नाम (मरा-मरा) जपते-जपते वाल्मीकिजी ब्रह्म के समान हो गए॥4॥
English :
IAST :
Meaning :