RamCharitManas (RamCharit.in)

इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

करौं काह मुख एक प्रसंसा। जय महेस मन मानस हंसा॥ अनुचित बहुत कहेउँ अग्याता। छमहु छमा मंदिर दोउ भ्राता॥3॥

Spread the Glory of Sri SitaRam!

श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand

चौपाई : 

करौं काह मुख एक प्रसंसा। जय महेस मन मानस हंसा॥
अनुचित बहुत कहेउँ अग्याता। छमहु छमा मंदिर दोउ भ्राता॥3॥

भावार्थ:

मैं एक मुख से आपकी क्या प्रशंसा करूँ? हे महादेवजी के मन रूपी मानसरोवर के हंस! आपकी जय हो। मैंने अनजाने में आपको बहुत से अनुचित वचन कहे। हे क्षमा के मंदिर दोनों भाई! मुझे क्षमा कीजिए॥3॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


Spread the Glory of Sri SitaRam!

Shiv

शिव RamCharit.in के प्रमुख आर्किटेक्ट हैं एवं सनातन धर्म एवं संस्कृत के सभी ग्रंथों को इंटरनेट पर निःशुल्क और मूल आध्यात्मिक भाव के साथ कई भाषाओं में उपलब्ध कराने हेतु पिछले 8 वर्षों से कार्यरत हैं। शिव टेक्नोलॉजी पृष्ठभूमि के हैं एवं सनातन धर्म हेतु तकनीकि के लाभकारी उपयोग पर कार्यरत हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सत्य सनातन फाउंडेशन (रजि.) भारत सरकार से स्वीकृत संस्था है। हिन्दू धर्म के वैश्विक संवर्धन-संरक्षण व निःशुल्क सेवाकार्यों हेतु आपके आर्थिक सहयोग की अति आवश्यकता है! हम धर्मग्रंथों को अनुवाद के साथ इंटरनेट पर उपलब्ध कराने हेतु अग्रसर हैं। कृपया हमें जानें और सहयोग करें!

X
error: