कर सरोज सिर परसेउ कृपासिंधु रघुबीर। निरखि राम छबि धाम मुख बिगत भई सब पीर॥30॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
तृतीय सोपान | Descent Third
श्री अरण्यकाण्ड | Shri Aranya-Kand
दोहा :
कर सरोज सिर परसेउ कृपासिंधु रघुबीर।
निरखि राम छबि धाम मुख बिगत भई सब पीर॥30॥
भावार्थ:
कृपा सागर श्री रघुवीर ने अपने करकमल से उसके सिर का स्पर्श किया (उसके सिर पर करकमल फेर दिया)। शोभाधाम श्री रामजी का (परम सुंदर) मुख देखकर उसकी सब पीड़ा जाती रही॥30॥
English :
IAST :
Meaning :