कलि बिलोकि जग हित हर गिरिजा। साबर मंत्र जाल जिन्ह सिरिजा॥ अनमिल आखर अरथ न जापू। प्रगट प्रभाउ महेस प्रतापू॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 14(छ.3)| Caupai 14(cha.3)
कलि बिलोकि जग हित हर गिरिजा।
साबर मंत्र जाल जिन्ह सिरिजा॥
अनमिल आखर अरथ न जापू। प्रगट प्रभाउ महेस प्रतापू॥3॥
भावार्थ:-जिन शिव-पार्वती ने कलियुग को देखकर, जगत के हित के लिए, शाबर मन्त्र समूह की रचना की, जिन मंत्रों के अक्षर बेमेल हैं, जिनका न कोई ठीक अर्थ होता है और न जप ही होता है, तथापि श्री शिवजी के प्रताप से जिनका प्रभाव प्रत्यक्ष है॥3॥
kali bilōki jaga hita hara girijā. sābara maṃtra jāla jinha sirijā..
anamila ākhara aratha na jāpū. pragaṭa prabhāu mahēsa pratāpū..
Seeing the prevalence of the Kali age Hara and Girija (Siva and Parvati) evolved a string of spells in the tongue of savages, incoherent syllables which yield no interpretation and require no repetition, but whose efficacy is patent, revealing Siva glory.