कहउँ जान बन तौ बड़ि हानी। संकट सोच बिबस भइ रानी॥ बहुरि समुझि तिय धरमु सयानी। रामु भरतु दोउ सुत सम जानी॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand
चौपाई :
कहउँ जान बन तौ बड़ि हानी। संकट सोच बिबस भइ रानी॥
बहुरि समुझि तिय धरमु सयानी। रामु भरतु दोउ सुत सम जानी॥3॥
भावार्थ:
और यदि वन जाने को कहती हूँ तो बड़ी हानि होती है। इस प्रकार के धर्मसंकट में पड़कर रानी विशेष रूप से सोच के वश हो गईं। फिर बुद्धिमती कौसल्याजी स्त्री धर्म (पातिव्रत धर्म) को समझकर और राम तथा भरत दोनों पुत्रों को समान जानकर-॥3॥
English :
IAST :
Meaning :