कहि देखा हर जतन बहु रहइ न दच्छकुमारि। दिए मुख्य गन संग तब बिदा कीन्ह त्रिपुरारि॥62॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
दोहा (62) | Dohas (62)
कहि देखा हर जतन बहु रहइ न दच्छकुमारि।
दिए मुख्य गन संग तब बिदा कीन्ह त्रिपुरारि॥62॥
भावार्थ:-शिवजी ने बहुत प्रकार से कहकर देख लिया, किन्तु जब सती किसी प्रकार भी नहीं रुकीं, तब त्रिपुरारि महादेवजी ने अपने मुख्य गणों को साथ देकर उनको बिदा कर दिया॥62॥
kahi dēkhā hara jatana bahu rahai na dacchakumāri.
diē mukhya gana saṃga taba bidā kīnha tripurāri..62..
Having reasoned with Her in ways more than one when Hara at last perceived that the daughter of Daksha was not going to stay, the Slayer of Tripura detailed a few of His principal attendants as Her escort and sent Her away.