किएहुँ कुबेषु साधु सनमानू। जिमि जग जामवंत हनुमानू॥ हानि कुसंग सुसंगति लाहू। लोकहुँ बेद बिदित सब काहू॥4॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 4 | Caupāī 4
किएहुँ कुबेषु साधु सनमानू। जिमि जग जामवंत हनुमानू॥
हानि कुसंग सुसंगति लाहू। लोकहुँ बेद बिदित सब काहू॥4॥
भावार्थ:-बुरा वेष बना लेने पर भी साधु का सम्मान ही होता है, जैसे जगत में जाम्बवान् और हनुमान्जी का हुआ। बुरे संग से हानि और अच्छे संग से लाभ होता है, यह बात लोक और वेद में है और सभी लोग इसको जानते हैं॥4॥
kiēhuom kubēṣa sādhu sanamānū. jimi jaga jāmavaṃta hanumānū..
hāni kusaṃga susaṃgati lāhū. lōkahuom bēda bidita saba kāhū..
The good are honoured notwithstanding their mean appearance, even as Jambavan (a general of Sugrriva’s army, who was endowed with the form of a bear and possessed miraculous strength) and Hanuman (the monkey-god) won honour in this world. Bad association is harmful, while good company is an asset in itself: this is true in the world as well as in the eyes of the Vedas, and is known to all.