कीन्ह कवन पन कहहु कृपाला। सत्यधाम प्रभु दीनदयाला॥ जदपि सतीं पूछा बहु भाँती। तदपि न कहेउ त्रिपुर आराती॥4॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 56.4 | Caupāī 56.4
कीन्ह कवन पन कहहु कृपाला। सत्यधाम प्रभु दीनदयाला॥
जदपि सतीं पूछा बहु भाँती। तदपि न कहेउ त्रिपुर आराती॥4॥
भावार्थ:-हे कृपालु! कहिए, आपने कौन सी प्रतिज्ञा की है? हे प्रभो! आप सत्य के धाम और दीनदयालु हैं। यद्यपि सतीजी ने बहुत प्रकार से पूछा, परन्तु त्रिपुरारि शिवजी ने कुछ न कहा॥4॥
kīnha kavana pana kahahu kṛpālā. satyadhāma prabhu dīnadayālā..
jadapi satīṃ pūchā bahu bhāomtī. tadapi na kahēu tripura ārātī..
“Tell me, O merciful Lord! what vow You have taken. You are an embodiment of Truth and compassionate to the poor.” Even though Sats inquired in ways more than one, the Slayer of the demon Tripura, Sarkara spoke not a word.