खगपति सब धरि खाए माया नाग बरुथ। माया बिगत भए सब हरषे बानर जूथ॥74 क॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
षष्ठः सोपानः | Descent 6th
श्री लंकाकाण्ड | Shri Lanka Kand
दोहा :
खगपति सब धरि खाए माया नाग बरुथ।
माया बिगत भए सब हरषे बानर जूथ॥74 क॥
भावार्थ:
पक्षीराज गरुड़जी सब माया-सर्पों के समूहों को पकड़कर खा गए। तब सब वानरों के झुंड माया से रहित होकर हर्षित हुए॥74 (क)॥
IAST :
Meaning :