खर दूषन त्रिसिरा अरु बाली। बधे सकल अतुलित बलसाली॥5॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
पंचमः सोपान | Descent 5th
श्री सुंदरकाण्ड | Shri Sunderkand
चौपाई :
खर दूषन त्रिसिरा अरु बाली।
बधे सकल अतुलित बलसाली॥5॥
भावार्थ:
जिन्होंने खर, दूषण, त्रिशिरा और बालि को मार डाला, जो सब के सब अतुलनीय बलवान् थे,॥5॥
English :
IAST :
Meaning :