गई बहोर गरीब नेवाजू। सरल सबल साहिब रघुराजू॥ बुध बरनहिं हरि जस अस जानी। करहिं पुनीत सुफल निज बानी॥4॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 12.4| Caupāī 12.4
गई बहोर गरीब नेवाजू। सरल सबल साहिब रघुराजू॥
बुध बरनहिं हरि जस अस जानी। करहिं पुनीत सुफल निज बानी॥4॥
भावार्थ:-वे प्रभु श्री रघुनाथजी गई हुई वस्तु को फिर प्राप्त कराने वाले, गरीब नवाज (दीनबन्धु), सरल स्वभाव, सर्वशक्तिमान और सबके स्वामी हैं। यही समझकर बुद्धिमान लोग उन श्री हरि का यश वर्णन करके अपनी वाणी को पवित्र और उत्तम फल (मोक्ष और दुर्लभ भगवत्प्रेम) देने वाली बनाते हैं॥4॥
gaī bahōra garība nēvājū. sarala sabala sāhiba raghurājū..
budha baranahiṃ hari jasa asa jānī. karahi punīta suphala nija bānī..
The restorer of what has been lost, the befriender of the poor, the Lord of Raghus is a straightforward and powerful master. Knowing thus, the wise sing the glory of Sri Hari and thereby hallow and bring supreme reward to their speech.