गै जननी सिसु पहिं भयभीता। देखा बाल तहाँ पुनि सूता॥ बहुरि आइ देखा सुत सोई। हृदयँ कंप मन धीर न होई॥3
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
गै जननी सिसु पहिं भयभीता। देखा बाल तहाँ पुनि सूता॥
बहुरि आइ देखा सुत सोई। हृदयँ कंप मन धीर न होई॥3॥
भावार्थ:
माता भयभीत होकर (पालने में सोया था, यहाँ किसने लाकर बैठा दिया, इस बात से डरकर) पुत्र के पास गई, तो वहाँ बालक को सोया हुआ देखा। फिर (पूजा स्थान में लौटकर) देखा कि वही पुत्र वहाँ (भोजन कर रहा) है। उनके हृदय में कम्प होने लगा और मन को धीरज नहीं होता॥3॥
English :
IAST :
Meaning :