चंदन अगर भार बहु आए। अमित अनेक सुगंध सुहाए॥ सरजु तीर रचि चिता बनाई। जनु सुरपुर सोपान सुहाई॥2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand
चौपाई :
चंदन अगर भार बहु आए। अमित अनेक सुगंध सुहाए॥
सरजु तीर रचि चिता बनाई। जनु सुरपुर सोपान सुहाई॥2॥
भावार्थ:
चंदन और अगर के तथा और भी अनेकों प्रकार के अपार (कपूर, गुग्गुल, केसर आदि) सुगंध द्रव्यों के बहुत से बोझ आए। सरयूजी के तट पर सुंदर चिता रचकर बनाई गई, (जो ऐसी मालूम होती थी) मानो स्वर्ग की सुंदर सीढ़ी हो॥2॥
English :
IAST :
Meaning :